Chirag Paswan के परिपक्व नेता होने का सुबूत, जाने कैबिनेट मंत्री की पूरी कहानी! 

By Deepak

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Chirag Paswan

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Chirag Paswan: चिराग पासवान ने नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी वफादारी दोहराकर खुद को किया मोदी का हनुमान घोषित। इसी कारण कभी भी भाजपा ने चिराग के लिए दरवाजे बंद नहीं हुए और उन्हें खुशियां ही देते रहे। 

बिहार राज्य और देश की राजनीति में चिराग पासवान की शानदार कहानी रही है 2020 में उनके पिता रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में चिराग ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) को आपना निशाना बनाया। 

इसके चलते चिराग ने अपनी पार्टी को NDA से बाहर भी कर लिया था। इसी के फलस्वरूप उनकी पार्टी सिर्फ एक ही सीट हासिल कर पाई। नतीजे के कुछ ही महीना के बाद LJP में फूट पढ़ने के कारण 2021 की शुरुआत में ही चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस छह सांसदों में से अपने चार सांसदों को लेकर मोदी सरकार में शामिल हो गए।

सब होने के बाद चिराग पासवान एक तरह से राजनीतिक क्षेत्र में गुम हो गए, जहां न केवल NDA से बाहर हुए बल्कि पार्टी का चुनाव चिन्ह भी उनके चाचा (पारस गुट) के पास चला गया। इसी के चलते हैं चिराग ने अपनी पार्टी की फुट का जिम्मेदार नीतीश और JDU को ठहराया और उसी समय चल रही राजनीतिक मतभेद के कारण है BJP ने भी चिराग की मदद नहीं की। 

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PM नरेंद्र मोदी चिराग की किया अपना हनुमान घोषित 

चिराग को सभी तरह से असफलता मिली, तो चिराग ने नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी वफादारी दिखाई और खुद को PM मोदी का हनुमान घोषित कर दिया। इसी वजह से बीजेपी ने चिराग के लिए कभी भी अपने दरवाजे बंद नहीं किया और उन्हें हमेशा खुश रखा। इसी बीच चिराग ने बिहार में अपनी आशीर्वाद यात्रा के साथ मैदान में उतरकर यह दिखाया कि दलित मतदाता उन्हें रामविलास पासवान की असली वारिस मानते हैं। जब PM मोदी ने पासवान की पहली पुण्यतिथि पर चिराग को एक मार्मिक पत्र लिखा तो NDA ने भी फिर एक बार चिराग के लिए दरवाजे खोल दिए।

Chirag Paswan का परिपक्व नेता होने का सुबूत

कुछ लोगों का यह तर्क है कि चिराग का बिहार में केवल 5% ही पासवान समुदाय के वोटो पर नियंत्रण है लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के सामने आई सभी पांच सीटों पर जीत हासिल करने के साथ यह भी सुनिश्चित कर दिया कि राज्य में अन्य सीटों पर पर जहां NDA के उम्मीदवार है वहां भी दलितों के वोट मिले और इस तरह उन्होंने एक परिपक्व राजनेता होने का सबूत दिया।

उन्होंने खुद अपनी सीट पर लालू यादव की RJD के शिवचंद्र राम को 1.7 लाख वोटो से हराया। इसके अलावा 2020 में विधानसभा चुनाव के एनालिसिस से पता चला कि चिराग ने बीजेपी और JDU को 56 सीटों पर खास नुकसान पहुंचा और JDU इसी वजह से 70 में से सिर्फ 43 सीटें ही जीत पाई। इस तरह चिराग ने साबित कर दिया कि वह बिहार की राजनीति में बहुत बड़ा उल्टफेर कर सकते हैं। 

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